शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2014

मलयालम के प्रख्यात कवि कुरिपुज्झा श्रीकुमार (के. श्रीकुमार) की कविताएँ

जी, के. श्रीकुमार का यह चित्र मैंने खींचा है 



१). छुट्टी

हे भगवान !
गणित के अध्यापक
छुट्टी पर होने चाहिए

गणित अध्यापक आए
डाँट भी पड़ी

भगवान छुट्टी पर थे।


२).  सिद्धांत

कविता पढ़ी
जरा भी समझ में नहीं आयी

तब इस सिद्धांत का जन्म हुआ
"पढ़ने पर जो समझ न आए
वही होती है कविता।"


3).  भगत सिंह

भगत सिंह फांसी पर चढ़ाए गए
फांसी पर लटक कर वे मर गए
क्यों?
भगत सिंह नास्तिक थे क्या?
अगर वे नास्तिक थे
तो मैं भी नास्तिक हूँ।


४).  पंख

भीतर एक पंख है
नील चिड़िया के आँसूं से भीगा हुआ एक पंख
मेरे खून में डुबकी लगाते हुए
पंख एक दर्दीला गीत लिख गया मेरे चेहरे पर
पंख को तेज झोंका उड़ा ले गया
मैं अकेले बैठ रोने लगा।


५).  अवार्ड

शिक्षक वासुकुट्टी को
सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का अवार्ड मिला
गाजे-बाजे के साथ उनको लाया गया
उस समारोह में जहाँ उनका सत्कार किया जाएगा

आनंदन शिक्षक ने कहा कि
अवार्ड पाने के लिए शिक्षक वासुकुट्टी ने जो किया है
उसके लिए एक और अवार्ड दिया जाना चाहिए उनको


६).  धार्मिक आख्यान 

कंप्यूटर ऑफ किया
मिक्सी में पीसकर तैयार
और ठंडा करने के लिए फ्रीज में रखे शरबत को पीकर
सिलाई मशीन से सिले कपडे पहनकर
बिजली के बल्ब के रोशनी में
माइक पकड़
वह विज्ञानं के खिलाफ भाषण देने लगा।


७).  सफ़ेद चीख

काली साड़ी
काला ब्लाउज
काली चप्पल
काले किए बाल
हसबैंड की डेड बॉडी के पास बैठ गई
एक सफ़ेद चीख


८).  चप्पल

उनके पास दो जोड़ी चप्पल है
घर के बाहर धार्मिक चप्पल
घर में धर्म विहीन चप्पल।
_________________
_________________


लिली जोसफ के साथ मैं और श्रीकुमार जी 

मूल मलयालम से हिंदी अनुवाद किया है लिली जोसफ ने। लिली मुंबई में रहती हैं और इन दिनों के.श्रीकुमार की कविताओं का हिंदी अनुवाद कर रही हैं। लिली से lillyjoseph123@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है। 

खान-पान के अहम् फाल्गुन नियम

प्रतीकात्मक पेंटिंग : पुष्पेन्द्र फाल्गुन  इन्टरनेट या टेलीविजन पर आभासी स्वरुप में हो या वास्तविक रुप में आहार अथवा खान-पान को लेकर त...