रविवार, 28 जुलाई 2019

पत्तल में भोजन के कुछ रोचक तथ्य फाल्गुन के नजरिए से...

तस्वीर गूगल फोटोस से साभार 
पत्तल में भोजन से सेहत सुधरेगी और आपका आरोग्य बढ़ेगा, साथ ही लुप्त हो चुके इस व्यवसाय के जरिए अनेक लोग गृह उद्योग को आजीविका का साधन बना पाएंगे... इन्टरनेट पर इस सम्बन्ध में खूब प्रचार किया जा रहा है, यह अच्छी बात है लेकिन सही तरीके से इस बाबत न बताने के कारण लोग दरअसल इसके उपयोग को उतना तवज्जो नहीं दे रहे हैं, जितना इसे मिलना चाहिए... मैं एक विनम्र कोशिश कर रहा हूँ...
हमारे देश में कभी ढाई हजार से अधिक वनस्पतियों की पत्तियों से तैयार किए जाने वाले पत्तलों और उनसे होने वाले लाभ के विषय में परंपरागत ज्ञान उपलब्ध है. हमारी परम्परा की हर क्रिया-प्रक्रिया आरोग्य और स्वास्थ्य की दृष्टि से शामिल रही है, दुर्भाग्य से अंग्रेजी शिक्षा और संस्कृति ने हमें अपनी परम्पराओं से पूरी तरह न सिर्फ दूर कर दिया है बल्कि हम अपनी परंपरा से ही घृणा करने को प्रगतिशीलता समझने लगे हैं. बहरहाल, इस समय हमारे देश में केले की पत्तियों के आलावा सुपारी की पत्तियों से बने पत्तल पुनः अपनी जगह समाज में वापस बना रहे हैं.
दक्षिण भारत में केले की पत्तियों पर भोजन परोसने का नियम रहा है, आज भी इस रीति का पालन वहां होता है, पत्तल या पत्तियों में खाने का क्या फायदा है यह किसी भी मँहगे होटल में जाकर देखिए, वहां खाना केले के पत्तों या फिर सुपारी के पत्तलों में परोसने का चलन बढ़ रहा है. जर्मनी जैसे अतिविकसित देश तो अब पत्तल में खाना खाने को राष्ट्रीय दायित्व की तरह प्रचारित कर रहे हैं.
कुछ बातें पत्तल या पत्तियों पर भोजन के विषय में आपको जरुर जानना चाहिए...
#पलाश के पत्तल में भोजन करने से हमारा पाचनतंत्र मजबूत होता है और यदि पाचन तंत्र की कोई भी बीमारी हो तो वह महज चालीस दिनों तक पलाश के पत्तल पर रोजाना खाना खाने से ठीक हो जाएगी. यह दावा नहीं है, आप इसका प्रयोग कर देखिए और फिर खुद दावे करने लगेंगे.
#पलाश के पत्तल की और विशेषता है, वह यह कि यह रक्त भी शुद्ध करता है लेकिन इसके लिए सफ़ेद फूल वाले पलाश के पेड़ का पत्तों से बनी पत्तल का इस्तेमाल करना चाहिए या फिर रेतीले क्षेत्र में होने वाली पलाश के पत्तों की पत्तल इस्तेमाल करनी चाहिए. लाल पलाश के फूल वाले पेड़ की पत्तल मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड में बहुतायत से इस्तेमाल होती रही है. सफ़ेद फूल वाले पलाश के पेड़ के पत्तों से बनी पत्तल पर यदि बवासीर (पाइल्स) का रोगी नब्बे से एक सौ बीस दिनों तक नियमित दोनों जून भोजन करे तो उसका बवासीर हमेशा- हमेशा के लिए ठीक हो जाता है, यहाँ तक कि मस्से भी गलकर गिर जाते हैं.
#सुपारी के पत्तों से बने पत्तल में भोजन करने से चाहे किसी भी तरह का रक्तदोष हो, पैंतालिस से पचपन दिन में ठीक हो जाता है, जिन महिलाओं को श्वेतप्रदर (सफ़ेद पानी) की शिकायत होती है, उन्हें सुपारी के पत्ते से बने पत्तल पर खाने से बहुत फायदा होता है, महिलाओं की अनियमित मासिक पारी और जब यह पारी बंद होने वाली रहती है तब यदि नियमित सुपारी के पत्ते से बनी पत्तल पर भोजन किया जाए तो बहुत फायदा होता है. एनीमिया में भी इस पत्तल पर खाने से क्या फायदा होता है, इस रोग से पीड़ित खाएं और पूरी दुनिया को बताएं. इतना ही नहीं, अवसाद और मानसिक तनाव से निजात के लिए सुपारी के पत्ते से बने पत्तल पर ही भोजन करना-कराना चाहिए.
#करंज के पत्तों से बनी पत्तल भी बवासीर के लिए रामबाण मानी जाती है. करंज के पत्तों से बनी पत्तल को जोड़ के दर्द से छुटकारा दिलाने वाला माना जाता रहा है. मनुष्य के शरीर से अतिरिक्त अम्ल सोखने में इस पत्ते के पत्तल का कोई तोड़ नहीं है.
#केले के पत्ते पर भोजन करने से शरीर में कभी सूखा रोग नहीं होता और हड्डियों तथा मांसपेशियों से जुड़ी हर दिक्कत ठीक होती है, लेकिन यदि किसी को इस समय फेफड़े से जुड़ा कोई रोग है तो उसे पहले पलाश के पत्तल पर भोजन करना चाहिए और करीब तीन महीने तक पलाश के पत्तल के नियमित प्रयोग के बाद ही केले के पत्ते पर भोजन करना चाहिए, कभी-कभार केले का पत्ता इस्तेमाल करने में कोई हानि नहीं है.
#गिलोय के पत्ते से बने दोने में पानी या चाय पीने से लीवर की सूजन समाप्त हो जाती है और पाचन क्षमता बढ़ने लगती है.
#बंगला पान के पत्तों से बने दोने में शहद और अदरक के रस के साथ पानी पीने से गंभीर से गंभीर हृदय रोग एक सौ बीस दिन में जड़ से समाप्त हो जाते हैं.
ऐसे न जाने कितने ही उपहार प्रकृति ने हमें दिए हैं. आप में से कोई चाहे तो किसी तरह के शिविर आदि का आयोजन कर मुझे आमंत्रित करे, मैं इस विषय पर पूर्ण अधिकार के साथ घण्टों मार्गदर्शन कर सकता हूँ. विशेष परिस्थितियों में निजी परामर्श के लिए भी उपलब्ध होता हूँ.
पुष्पेन्द्र फाल्गुन फाल्गुन विश्व

खान-पान के अहम् फाल्गुन नियम

प्रतीकात्मक पेंटिंग : पुष्पेन्द्र फाल्गुन  इन्टरनेट या टेलीविजन पर आभासी स्वरुप में हो या वास्तविक रुप में आहार अथवा खान-पान को लेकर त...