रविवार, 28 जुलाई 2019

वर्षा ऋतु के लिए फाल्गुन टिप्स...

फोटोग्राफ : अरुणेन्द्र मिश्र 
कुछ मित्रों ने कहा कि वर्षा ऋतु में किस तरह से प्राकृतिक जीवन शैली अपनायी जाए ताकि सपरिवार सेहतमंद रहते हुए इस मौसम में होने वाले रोगों से बचा जा सके. वैसे भी पिछली दो रात से बादल लगातार झड़ी लगाए हुए हैं.
जितनी मेरी समझ है उसके अनुसार निम्न तरीके से आहार-विहार और जीवन रहे तो सेहत और प्रसन्नता दोनों अक्षुण्ण रहेंगे...
#दक्षिणायन
इस समय सूर्य दक्षिणायन हैं, मध्य जुलाई से 21 दिसम्बर तक सूर्य दक्षिणायन रहते हैं, अतः चन्द्र ज्यादा बलवान हो जाते हैं. हमारे समस्त प्राचीन ग्रंथों में श्रावण से कार्तिक तक दूध और दूध से बने पदार्थों से परहेज इतने सकारात्मक तरीके से कराया गया है कि आमजन परहेज भी कर लें और उन्हें समझ भी नहीं आए कि दूध अथवा दूध से बने पदार्थों से उन्हें बचाने की कोई शास्त्रीय कवायद हो रही है. याद कीजिए कि कितने तीज-त्यौहार जुलाई से दिसम्बर के बीच भारतीय उप महाद्वीप में हैं और दूध का इन त्योहारों में किस तरह और कितना-कितना इस्तेमाल है. कहने का मतलब कि आज से दिसम्बर तक दूध से जितना हो सके परहेज करिए. दूध, दही, छाछ जैसे पदार्थ से बचने की सलाह होती है लेकिन पुराना घी इस समय बहुत लाभकारी होता है, लेकिन घी कम से कम १२ साल पुराना हो तो श्रेयस्कर है, हालाँकि आज के समय में इतना पुराना घी मिलना, अंधे को आँख मिलने जैसा है, लेकिन यदि पुराना घी न भी मिले तो भी हमेशा घी गर्म ही इस्तेमाल करना चाहिए. जिन्हें फेफड़े या श्वसन रोग हैं उन्हें दूध और दूध से बने प्रत्येक पदार्थ के साथ घी से पूरी तरह परहेज करना चाहिए.
#मच्छर
पूरे साल में सूर्य के दक्षिणायन काल में सबसे ज्यादा कीट-पतंगे उत्पन्न होते हैं. मच्छर भी एक कीट है. औषधि विक्रेताओं और आधुनिक चिकित्सकों को तो जैसे इन मच्छरों ने रामबाण प्रदान कर दिया हो, बहरहाल, विषय परिवर्तन से बचते हुए यहाँ मैं यही कहना चाहता हूँ कि मच्छरों से बचने के लिए रासायनिक तरीकों जैसे कॉइल या लिक्विड रेपेल्लेंट के इस्तेमाल से यदि बचा जा सके तो बेहतर होगा. मच्छर भगाने के लिए नीम्बू और लौंग का इस्तेमाल कीजिए. नीम्बू काटकर उस पर दो लौंग रख दीजिए जहाँ से मच्छरों के आने की आशंका आपको लगती है और फिर देखिए कि क्या होता है!
#कसैला_और_नमकीन
आहार में पुराने चावल से बना भात या पुराने गेंहू से बनी रोटी ही खानी चाहिए. नाशपाती, करेला, गुड़ और अदरक प्रतिदिन के भोजन में किसी न किसी तरह से होना ही चाहिए. देखा गया है कि बारिश होते ही पकौड़े तलने और खाने का चलन बन-बढ़ गया है, लेकिन बेसन इस मौसम में बेहद नुकसानदायक है, तले पदार्थ भी जितना हो सके टाले जाने चाहिए. लेकिन फिर भी यदि मन नहीं मानता है तो तलने के पहले तेल में मेथी के दाने डालकर कुछ देर पकाना चाहिए, फिर चाहें तो मेथी के दाने रहने दें और उसी में पकौड़े तल लें लेकिन यदि ऐसा लगे कि मेथी के दाने निकाल देना चाहिए तो जरुर छन्नी से मेथी दाने किसी कटोरी में निकाल लें और फिर उन दानों को बाद में सब्जी बनाने में इस्तेमाल कर लें, मेथी के दाने जब कुछ देर तेल में पक जाते हैं तो तेल का लिनोलिक एसिड बहुत हद तक पतला हो जाता है जिससे शरीर को नुकसान कम से कम होता है. यदि नारियल या फिर जैतून के तेल में सूर्य के दक्षिणायन रहते कुछ भी तला या पकाया जाए तो फिर सेहतयाबी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. बेसन से बने पदार्थ ही खाने हो तो बीकानेरी पद्धति से बने नमकीन पदार्थ ही इस दौरान खाने चाहिए. एक बात और यह कि वर्षा और शीत ऋतु में नमकीन पदार्थ हमेशा शाम में ही खाना चाहिए. कसैले पदार्थ सुबह या फिर रात में ही खाने चाहिए, शाम में नहीं. एक बात और, यदि संभव हो तो इस दौरान सेंधा नमक का ही इस्तेमाल करें.
#देहदुःख
मध्य जुलाई से २१ दिसम्बर तक जितना हो सके स्त्री-पुरुष को अपने कामतत्व पर नियंत्रण रखना चाहिए. हमारे मनीषी विद्वानों ने इसीलिए वर्ष के सारे तीज-त्यौहार इसी दौरान रचे ताकि दाम्पत्य स्वरुप में पति-पत्नी जा ही न पाएं. खासकर कार्तिक पूर्णिमा के बाद ही इस स्थिति में जाने की सुविधा या सहूलियत या अवसर बन सके. दुर्भाग्य से कामतत्व को इन्हीं महीनों में बढ़ाने के लिए आज का बाजार मुस्तैद है. 'तेरी दो टकिये की नौकरी और लाखों का सावन जाए' जैसे गानों को खूब प्रचारित किया जाता है. हमारे लोक जीवन ने सेहत के महत्त्व को इतना बखूबी समझा था कि जीवन से जुड़े हर तत्व को उसी लिहाज से रेखांकित किया था. श्रावण से कार्तिक तक यदि स्त्री-पुरुष कामतत्व या दाम्पत्य सुख से परहेज करें तो न उन्हें रोग होगा न उन पर बुढ़ापा जल्दी तारी होगा. यदि आज तक आपने यह प्रयोग नहीं किया तो अभी करें. जिन महिलाओं को वात विकार अथवा जिन्हें भी घुटनों में दर्द की शिकायत है और यदि वे काम सुख के लिए लालायित रहते हैं तो श्रावण से कार्तिक महीने इस लालच से बचें और बताएं कि मध्य नवम्बर से अगले जुलाई तक उनके घुटनों, कमर का दर्द गायब रहा या नहीं तथा वात विकार से उन्हें निजात मिली या नहीं.
पुष्पेन्द्र फाल्गुन फाल्गुन विश्व

खान-पान के अहम् फाल्गुन नियम

प्रतीकात्मक पेंटिंग : पुष्पेन्द्र फाल्गुन  इन्टरनेट या टेलीविजन पर आभासी स्वरुप में हो या वास्तविक रुप में आहार अथवा खान-पान को लेकर त...