वह चाहता है
कोई आदमी
उसे आदमी न कहे
मेले में उस रोज
घुमा आया है वह
अपनी आदमियत
वह चाहता है
उसे मित्र न माना जाए
कितने ही मित्रों की जेबें
वह कर चुका है छलनी
वह चाहता है
दुनिया भर के लोग
अमन और अधिकार से जीवित रहें
मरने पर सभी का अभिवादन किया जाए
वह चाहता है
राह चलती स्त्रियाँ
यों ही न जाने दें अपनी खुजली
वह चाहता है
समाज अपने बवासीर का इलाज़
जल्द से जल्द कराये
हालांकि सब की तरह आप भी उसे पागल कह सकते हैं
वह चाहता है
उसे पागल न कहा जाए
उसे पागल न कहा जाए
न माना जाए
(कविता संग्रह 'सो जाओ रात' से)