मंगलवार, 8 मार्च 2011

इन दिनों उदास हैं अम्मा.....



पिछले पच्चीस साल से अम्मा चाय पिला कर औरों के जीवन में मिठास घोल रही हैं. उनका जीवन हमेशा ही कटु अनुभवों से भरा रहा. पति लम्बे समय तक बीमार रहे और एक दिन बीमारी में ही गुज़र गए. जवान लड़के ने चालीस की उम्र में आत्महत्या कर ली. बचे एक लड़के को जुएँ की लत लगी हुई है. लेकिन इस सबके बावजूद अम्मा की चाय का स्वाद जस का तस बना रहा. मगर इनदिनों उदास हैं अम्मा, चाय का गिलास थमाने से पहले हर किसी से पूछती हैं, 'क्या सबकी आँखों का पानी मर गया है भैया...'

खान-पान के अहम् फाल्गुन नियम

प्रतीकात्मक पेंटिंग : पुष्पेन्द्र फाल्गुन  इन्टरनेट या टेलीविजन पर आभासी स्वरुप में हो या वास्तविक रुप में आहार अथवा खान-पान को लेकर त...