"हे भगवान्, अब आप हमारे क्लास के बच्चों के गाल और हाथ की रक्षा करना. कल टीचर को नया डस्टर मिल गया है, इस साल का डस्टर बड़ा मज़बूत और मोटा है और टीचर का निशाना भी एक दम पक्का है. अपनी सीट से बैठे-बैठे ही वे किसी का भी गाल लाल कर सकती हैं. कुछ ऐसा करो भगवान् कि टीचर से ये डस्टर गुम जाए. या फिर ऐसा करो कि टीचर को लकड़ी मिल जाए, कम से कम लकड़ी कि मार सही जा सकती है क्योंकि हमें उसके बारे में मालूम होता है. लेकिन ये टीचर तो जुबान पर लकड़ी से मारती है. एक काम करो भगवान् टीचर ही बदल दो..., हाँ भगवानजी, ये टीचर हटाकर कोई ऐसी टीचर हमें दो, जो हमसे प्यार से बातें करे, हमें प्यार से हर बात, हर सबक समझाए और पूछने पर मारे नहीं बताये, समझाए वो भी प्यार से, बिलकुल हमारी मम्मी की तरह..., आप सुन रहे हो न भगवानजी.."
खान-पान के अहम् फाल्गुन नियम
प्रतीकात्मक पेंटिंग : पुष्पेन्द्र फाल्गुन इन्टरनेट या टेलीविजन पर आभासी स्वरुप में हो या वास्तविक रुप में आहार अथवा खान-पान को लेकर त...
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११ मई २०११ को नागपुर के दीनानाथ हाईस्कूल में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर की १५० वीं जयंती के निमित्त युवा कवियों के विचार नामक कार्यक्रम आयोज...
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अच्छा हुआ आप यहाँ नहीं हैं, हमारे साथ. अरे साहब हम इस समय महाराष्ट्र की उपराजधानी यानी नागपुर जिले के एक छोटे से गाँव कन्हान में हैं. कन्हा...
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आप लोगों की नजर एक कविता, शीर्षक है ' अंतस-पतंगें ' परत-दर-परत उघारता हूँ अंतस उधेड़बुन के हर अंतराल पर फुर्र से उड़ पड़ती है एक...