(सुभाष तुलसीता का एक रेखाचित्र)
कपोलों के सहज बिंदु पर
छपे प्रार्थना पत्रों में
कभी नहीं ढलता है सूर्य
अँधेरे में खो जाने के लिए
श्वेत स्मित मुस्कान
अचानक ही नहीं दिया करती दस्तक
न ही पक्षी
गाने के लिए
बांग की प्रतीक्षा करते हैं
मेढक टर्राते हैं साल भर
चाहे पानी बरसे
या न बरसे...
(वर्ष २००७ में प्रकाशित कविता संग्रह 'सो जाओ रात' से)
(वर्ष २००७ में प्रकाशित कविता संग्रह 'सो जाओ रात' से)