बुधवार, 9 मार्च 2011

अनुभव



यदि
कोई अनुभव
आपके भीतर
जिज्ञासा पैदा नहीं करता
तो सावधान
क्योंकि जिसे आप
अनुभव समझ रहे हैं
वह दरअसल में एक सीख मात्र है

एक सीख, एक सबक बस

और कई बार जीवन में हम
सीख और अनुभव का फर्क नहीं समझते
और सीख को, सबक को ही अनुभव मान बैठते हैं
और उसके आधार पर अपने फलसफे भी गढ़ते जाते हैं
सिद्धांत भी रचते जाते हैं
सीख में ही इतने तल्लीन और गुम हो जाते हैं
की उसे ही अनुभव सिद्ध करने में अपना सारा कौशल, सारी क्षमता लगा देते हैं
अपने इर्द-गिर्द देखिए आपको ऐसे तमाम लोग मिल जाएँगे
और दर्पण में देखेंगे तो.....

इसीलिए अनुभव और सीख का फर्क समझिए
अनुभव वही है, 
जो आपके भीतर 
उसी विषय के बारे में 
और जिज्ञासा पैदा करे 
कि जिसका आपने अनुभव किया है.

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