गुरुवार, 10 मार्च 2011

रोशनी



आग में नहीं
भूख में होती है रोशनी

आशाएँ
कभी राख नहीं होती

बालसुलभ रहती है
हिम्मत, ताउम्र

जरूरत
अविष्कार की जननी नहीं, पिता है

लौ लगे जीवन ही
अँधेरे का रोशनदान बन पाएंगे।

(शीघ्र प्रकाश्य कविता संग्रह 'चेतुल' से)

खान-पान के अहम् फाल्गुन नियम

प्रतीकात्मक पेंटिंग : पुष्पेन्द्र फाल्गुन  इन्टरनेट या टेलीविजन पर आभासी स्वरुप में हो या वास्तविक रुप में आहार अथवा खान-पान को लेकर त...